खबरिस्तान नेटवर्क। यूं तो शिशु नौ महीने तक मां के गर्भ में रहता है और फिर पुरे होने पर इस दुनिया में जन्म लेता है। इन नौ महीनों के दौरान शिशु का मां के गर्भ में शरीर के सभी अंगों का विकास होता है और वह बाहर आने के लिए तैयार होता है। लेकिन कुछ बच्चे ऐसे होते हैं जो नौ महीने पूरे होने से पहले ही इस्दुनिया में आ जाते हैं। कहने का मतलब है कि नौ महीने से पहले जन्म लेने वाले बच्चों को प्रीमैच्योर बेबी कहा जाता है। इन शिशुओं का पूरा विकास होने से पहले ही जन्म हो जाता है। इस वजह से इनकी इम्यूनिटी फुल टर्म यानि नौ महीने के बाद पैदा होने वाले बच्चों की तुलना में काफी कमजोर होती है। इस कारण इन बच्चों को ज्यादा देखभाल की जरूरत पड़ती है।
वहीँ अगर प्रीमैच्योर बेबी जब जन्म लेता है तो अस्पताल में उसे स्पेशल केयर में रखा जाता है। अस्पताल में डॉक्टर और नर्स की देखरेख में शिशु की सेहत और सुरक्षा को लेकर पैरेंट्स को ज्यादा चिंता नहीं होती है, लेकिन जब उन्हें अपने प्रीमैच्योर बेबी को अस्पताल से घर ले जाना होता है, तो उनकी परेशानी थोड़ी बड जाती है। कई बार पैरेंट्स को समझ नहीं आ पाता है कि उन्हें घर पर किस तरह अपने प्रीमैच्योर बेबी की देखभाल करनी है। तो आज हम आपको यही बताने वाले हैं कि घर पर कसी केयर करें।
समय समय पर बॉडी टेंपरेचर देखे
प्रीमैच्योर बेबी है तो उसका समय समय पर बॉडी टेंपरेचर चेक करते रहें। इसका सबसे अच्छा तरीका है कि जरूरत पड़ने पर उसे कपड़ों से ढक दिया जाए और जब जरूरत न हो तो इन कपड़ों को हटा दिया जाए। वहीँ शिशु को हर समय बेड पर मोटा कंबल ओढ़ाकर न बिलकुल न रखें। हो सके तो डिजीटल थर्मोमीटर खरीद कर रखें और बेबी का टेंपरेचर 36.5 से 37.3 सेल्सियस तक होना चाहिए। कमरे का तापमान 20 से 23 सेल्सियस रखने की जरुरत होती है।
बच्चे को स्किन-टू-स्किन कॉन्टैक्ट में रखें
घर पर हर समय गर्म कमरे में बेबी को सिर्फ डायपर पहनाकर रखें और हो सके तो उसे अपनी छाती से ज्यादा से ज्यादा लगाकर रखें। बेबी के साथ मां का स्किन-टू-स्किन कॉन्टैक्ट भी जरूरी है। इसे आप कंगारू केयर भी बोल सकते हैं। इसके वजह से प्रीटर्म बेबी का अपने पैरेंट्स के साथ बॉन्ड बनता है, ब्रेस्टफीडिंग बेहतर हो पाती है और हार्ट एवं सांस की गति ठीक रहती है, बॉडी टेंपरेचर कण्ट्रोल में रहता है।
प्रीमैच्योर बेबी को घर से बाहर जरुरत पड़ने पर ही लेके जाएँ
बता दें कि प्रीमैच्योर बेबी की इम्यूनिटी काफी कमजोर होती है इस कारण इन्हें आसानी से इंफेक्शन पकड़ लेता है। बेहतर रहेगा कि आप अपने बच्चे को भीड़भाड़ वाली जगहों पर न लेकर जाएं और घर पर ही रहें। वहीँ अगर बाहर से कोई बेबी से मिलने आता है, तो पहले उसे हाथ धोने के लिए कहें। तभी बच्चे को हाथ लगाने दें।
सुलाने का तरीका सही रखें
गर्मी के मौसम में कमरे को थोड़ा ठंडा रखें और रोशनी हलकी रखें। कमरे में ज्यादा शोर न हो, शनि होनी चाहिए। प्रीमैच्योर बेबी को रात में ज्यादा बार दूध पीने की जरूरत पड़ती है। तो अच्छे से फीड करवाएं।
नहलाते टाइम ध्यान रखें
बेबी को नहलाने के लिए गर्म नहीं बल्कि गुनगुना पानी का इस्तेमाल करें। साथ शिशु के बालों को सिर्फ सादे पानी से धोएं। शिशु के 2.5 किलो के होने तक उसे बस स्पंज बाथ दें। बेबी के एक महीने के होने तक कोई लोशन या तेल बिलकुल न लगाएं।
ये जानकारी आपको जागरूकता मात्रा के लिए दी गयी है, अगर आपका बच्चा प्रीमैच्योर पैदा हुआ है तो ऊपर बताई हुई बातों को फॉलो करें और अगर आपको लगता है की बच्चा घर पर ठीक महसूस नहीं कर रहा है तो उसे तुरंत डॉक्टर के पास ले जाये.