तंदरुस्ताये नमः

भारत में डायबिटीज पेशेंट का आंकड़ा पहुँचा 10 करोड़ तक diabetes की रोकथाम के लिए करें ये काम 

भारत में डायबिटीज पेशेंट का आंकड़ा पहुँचा 10 करोड़ तक, diabetes की रोकथाम के लिए करें ये काम 

तीन साल में 30 मिलियन लोग शुगर की बीमारी की चपेट में आए हैं

हाई ब्लडप्रेशर बढ़ने से शरीर को होता है नुकसान इसके प्रति गंभीर होने की जरूरत 

हाई ब्लडप्रेशर बढ़ने से शरीर को होता है नुकसान, इसके प्रति गंभीर होने की जरूरत 

ज्यादा बीपी एक तरह से शरीर में साइलेंट किलर की तरह काम करता है।


सिर दर्द होने पर क्या आप भी बांधते हैं कपड़ा? तो जानें कैसे करता हैं ये असर

सिर दर्द होने पर क्या आप भी बांधते हैं कपड़ा? तो जानें कैसे करता हैं ये असर

खबरिस्तान नेटवर्क। जब किसी को सिर दर्द रहता है तो वे पेन किलर लेते हैं। कुछ लोग तो चाय या कॉफी पीकर सिर दर्द को दूर भगाने की कोशिश करते हैं। लेकिन अक्सर आपने देखा होगा कि कुछ लोग सिर पर कपड़ा बांध लेते हैं। दरअसल इस तरीके से कई लोग अपने सिर दर्द को कम करना चाहते हैं। लेकिन क्या वाकई सिर में कपड़ा बांधना सही है? कपड़ा बांधने से सिरदर्द बंद होने के पीछे क्या कोई लॉजिक छिपा है? आपको बताते हैं इस खबर में - क्या कहना है एक्स्पर्ट्स का डॉक्टरों का कहना है कि सिर में कपड़ा बांधने से तुरंत आराम मिल जाता है। दरअसल इसके पीछे कारण यह है कि कपड़ा बांधने के बाद सिर हर तरफ से कसा जाता है। इसकी वजह से दबाव महसूस होने लगता है और खोपड़ी में ब्लड सर्कुलेशन का फ्लो कम हो जाता है। इसलिए सिर दर्द में थोड़ा आराम मिलता है। इसे केस में सिर में सूजन और हल्के दर्द में काफी ज्यादा आराम मिलता है। हालांकि बहुत सारे लोग सिर दर्द होने पर ठंडी पट्टी का भी सहारा लेते हैं। ये भी पढ़ें : Study में आया सामने : Scientists ने बताया हफ्ते में किस दिन आते हैं सबसे ज्यादा हार्ट अटैक, बचना हैं तो करें ये काम लेकिन आपको ये भी जानना जरूरी है कि आखिर सिर में दर्द क्यों हो रहा है? जैसे माइग्रेन में अलग तरह से सिर में दर्द होता है। माइग्रेन का दर्द लाइट और साउंड होता है। यह हमेशा आधे सिर में होता है। इस तरह के दर्द से अगर आप जूझ रहे हैं तो लाइट ऑफ कर दें और तेज आवाज में कोई गाना न सुनें। चाय- कॉफी देती है आराम हेल्थ एक्सपर्ट के अनुसार सिरदर्द में कैफीन तुरंत आराम देता है। इसलिए ज्यादातर लोग सिर दर्द होने पर चाय-कॉफी पीते हैं। सेहत से जुड़ी खबरों के अपडेट्स के लिए ग्रुप ज्वाईन करें https://chat.whatsapp.com/F3zl8cxSVbZALI1EPdrQsb

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Scientists ने बताया हफ्ते में किस दिन आते हैं सबसे ज्यादा हार्ट अटैक, बचना हैं तो करें ये काम 

Scientists ने बताया हफ्ते में किस दिन आते हैं सबसे ज्यादा हार्ट अटैक, बचना हैं तो करें ये काम 

खबरिस्तान नेटवर्क। हम सभी ये जानते हैं कि एक हफ्ते में 7 दिन होते हैं, मगर क्या कोई ये जानता है कि इन सब दिनों में से सबसे ज्यादा खतरनाक दिन कौन सा है? नहीं ? तो इसका जवाब अब हमें मिल गया है। इन सात दिनों में से एक दिन को वैज्ञानिकों ने सबसे खतरनाक बताया है। जी हाँ, शोधकर्ताओं ने माना कि इसी दिन सबसे खतरनाक हार्ट अटैक आते हैं, जिससे बचना काफी मुश्किल है। लेकिन इन हार्ट अटैक से बचने के लिए आप कुछ काम कर सकते हैं। आपको सारी जानकारी देते हैं। दरअसल मैन्चेस्टर में ब्रिटिश कार्डियोवैस्कुलर सोसायटी (BCS) की कॉन्फ्रेंस में एक स्टडी के रिजल्ट जारी किए गए हैं। यह शोध बेलफास्ट हेल्थ एंड सोशल केयर और रॉयल कॉलेज ऑफ सर्जन के डॉक्टरों ने मिलकर किया है। इसके लिए 20,000 से ज्यादा मरीजों का अध्ययन किया गया था। हफ्ते के इस दिन आते हैं सबसे भयंकर हार्ट अटैक शोधकर्ताओं की ओर से पाया गया है कि मरीजों में सोमवार के दिन सबसे ज्यादा एसटीईएमआई हार्ट अटैक आते हैं। यह सबसे घातक दिल के दौरों में से एक है। इसे ST-segment elevation myocardial infarction (STEMI) कहते हैं, जिसमें मुख्य रक्त धमनी पूरी तरह ब्लॉक हो जाती है और दिल को ऑक्सीजन व खून नहीं मिल पाता। ये भी पढ़ें : लंबे समय तक बैठने की आदत करेगी नुकसान, हो सकती है घातक बीमारियां, ऐसे करें इस परेशानी को दूर रिसर्च के मुख्य शोधकर्ता कार्डियोलॉजिस्ट Dr. Jack Laffan ने कहा कि इस परिणाम के पीछे का सटीक कारण तो नहीं पता है मगर ये मान सकते हैं कि इसके पीछे कुछ हॉर्मोन हो सकते हैं। जो कि सर्काडियन रिदम से प्रभावित होकर हार्ट अटैक और स्ट्रोक का कारण बन सकते हैं। इस से पहले अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन की रिपोर्ट में भी दावा किया गया था कि अन्य दिनों कि तुलना में सोमवार को हार्ट अटैक 13 प्रतिशत ज्यादा आते हैं। वजह कर देगी हैरान डॉ. जैक ने बताया कि इन घातक हार्ट अटैक के पीछे तनाव एक वजह बन सकता है। जो कि ऑफिस या काम पर लौटने की वजह से सोमवार को बढ़ जाता है। इसके कारण कोर्टिसोल हॉर्मोन बढ़ने लगता है, जिसका हार्ट अटैक से काफी गहरा संबंध है। इसके साथ ही संडे और मंडे की बीच लोगों की स्लीप साइकिल...यानी सोने-जागने की प्रक्रिया प्रभावित होती है जो कई बार हार्ट अटैक का कारण बनती है। सामान्य हार्ट अटैक रक्त धमनी के आधे या थोड़े ब्लॉक होने के कारण आता है। मगर STEMI में कोरोनरी आर्टरी पूरी तरह बंद हो जाती है और दिल की मांसपेशी मरने लगती है। तंबाकू का इस्तेमाल, स्मोकिंग, डायबिटीज, हाई कोलेस्ट्रॉल, एल्कोहॉल और कुछ ड्रग्स के कारण ऐसा हृदयघात हो सकता है। हार्ट अटैक से बचना है तो करें ये काम ताजे फल-सब्जियों वाली हेल्दी डाइट लें वजन को ज्यादा बढ़ने ना दें मक्खन, बर्गर, चिप्स जैसे हाई फैट वाले फूड ना खाएं स्मोकिंग और शराब छोड़ दें दिन में 30 मिनट अच्छी शारीरिक गतिविधि जरूर करें ब्लड प्रेशर को कंट्रोल रखें डायबिटीज को मैनेज करें सेहत से जुड़ी खबरों के अपडेट्स के लिए ग्रुप ज्वाईन करें https://chat.whatsapp.com/F3zl8cxSVbZALI1EPdrQsb

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लंबे समय तक बैठने की आदत करेगी नुकसान, हो सकती है घातक बीमारियां

लंबे समय तक बैठने की आदत करेगी नुकसान, हो सकती है घातक बीमारियां

खबरिस्तान नेटवर्क : हाल ही में एक अध्ययन में यह साबित हुआ है कि जो लोग लंबे समय तक एक ही जगह बैठे रहते हैं, उनमें समय से पहले मौत और मौत से संबंधित बीमारियों का जोखिम ज्यादा रहता है। बता दें कि सबसे पहले 1950 में इस संबंध में एक अध्ययन हुआ था जिसमें पाया गया था कि बैठने और खराब हेल्थ के बीच गहरा संबंध है। स्वानसिया यूनिवर्सिटी में हेल्थ और फिजिकल एक्टिविटी के प्रोफेसर केली मेकीनतोष ने बताया कि बेशक आप सक्रिय रहते हैं लेकिन अक्सर बैठे रहते हैं तो यह एक तरह से गतिहीन लाइफस्टाइल ही है। वे कहते हैं कि मान लीजिए कि आप सुबह एक घंटे अपने कुत्ते के साथ वॉक करते हैं और फिर पूरा दिन बैठे रहकर काम करते हैं तो यह भी गतिहीन लाइफस्टाइल ही होगा। इस स्थिति में भी जोखिम उतना ही है जितना बिना कुछ शारीरिक गतिविधियां किए होता है। उन्होंने बताया कि लंबे समय तक बैठने से परेशानी को दो समूह में बांट सकते हैं। एक पॉश्चर संबंधी परेशानी होती है जिसमें शरीर के कई अंगों में दर्द होता है और इससे हड्डियों पर असर पड़ती है। जबकि दूसरी परेशानी कार्डियो-मेटाबोलिक है जिसमें हार्ट डिजीज, डायबिटीज, किडनी, लिवर संबंधी कई क्रोनिक बीमारियों का जोखिम बढ़ जाता है। जब आप ज्यादा समय तक बैठे रहते हैं तब आपके मसल्स और मसल्स को हड्डियों से जोड़ने वाली नसों में अकड़न यानी स्टीफनेस आती है। इससे मस्कुलर पेन और नेक पेन होता है यानी जब आपको पॉश्चर से संबंधित परेशानी होगी तो पूरे शरीर के मसल्स में दर्द होने लगेगा। इसके साथ ही गर्दन में बहुत ज्यादा दर्द भी होगा। इससे पेन सिंड्रोम और बैक पैन होता है। लंबे समय तक बैठे रहने के नुकसानवजन बढ़ना जब आप नियमित फिजिकल एक्टिविटी करते हैं, तो इससे आपकी मांसपेशियां लिपोप्रोटीन लाइपेज जैसे मॉलिक्यूल्स रिलीज करती हैं। यह फैट और शुगर को प्रोसेस करने में मदद करता है। जब आप अपना अधिकांश दिन बैठने में बिताते हैं, तो ये मॉलिक्यूल्स कम रिलीज होते हैं, जिससे आपके निचले हिस्से में चर्बी ज्यादा बढ़ जाती है। यदि आप व्यायाम करते हैं तो भी आपको मेटाबोलिक सिंड्रोम का खतरा होता है। ये भी पढ़ें : Shocking : 16 हजार से ज्यादा हार्ट सर्जरी करने वाले देश के मशहूर कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. गौरव गांधी की Heart Attack से मौत कमजोर पैर और ग्लूट्स पूरे दिन बैठने से, आप अपने शरीर के निचले हिस्से की शक्तिशाली मांसपेशियों को कमजोर बना देते हैं। मांसपेशियों की इसी कमजोरी को मांसपेशी एट्रोफी कहते हैं। मजबूत पैर और ग्लूट मांसपेशियों के बिना, आप स्थिर नहीं रह पाते और आपको चोट लगने का खतरा ज्यादा रहता है। वैरिकोज वेन्स का खतरा लंबे समय तक बैठे रहने से पैरों में खून जमा हो सकता है। यह वैरिकोज वेन्स या स्पाइडर वेन्स का कारण बन सकता है। ये सूजी हुई और दिखाई देने वाली नसें भद्दी दिखती हैं और मामला गंभीर होने पर इनसे खून के थक्के जैसी अधिक गंभीर स्थिति पैदा हो सकती है। एंग्जायटी बढ़ सकती है बैठे-बैठे स्क्रीन पर क्या आप भी घंटों बिता देते हैं? ऐसा करने से आपकी नींद में खलल पड़ता है और जब नींद की साइकिल बिगड़ती हैं, तो आपका एंग्जायटी (एंग्जायटी कम करने का तरीका) लेवल भी बढ़ता है। इस तरह से आप अकेले समय ज्यादा बिताते हैं और अपने प्रियजनों से दूर रहते हैं, जो सोशल एंग्जायटी से जुड़ा हुआ है। हिप एक्सटेंड कर जाता है हाल ही के एक अन्य अध्ययन में पाया गया है कि लंबे समय तक बैठने से हिप एक्सटेंशन यानी हिप की हड्डी का आकार बढ़ जाता है। दूसरी ओर लंबे समय तक बैठने से कई तरह की मेटाबोलिक समस्याएं होती हैं। इससे सर्कुलेशन भी सीमित हो जाता है और शरीर में ग्लूकोज को पचाने की क्षमता कमजोर हो जाती है. इससे वजन ज्यादा होता है और डायबिटीज का जोखिम भी बढ़ जाता है। इस समस्या को ऐसे करें दूर हालांकि अध्ययन में इन परेशानियों से बचने के भी उपाय बताए गए हैं। पॉश्चर से संबंधित परेशानियों को आप स्ट्रैचिंग, शारीरिक गतिविधियों के माध्यम से सही भी कर सकते हैं। जब आप टीवी के सामने बैठे तो टीवी की स्क्रीन की ऊंचाई आंखों की सीध में रहे और पैरों को जमीन पर सपाट रखें। इससे कूल्हों और रीढ़ पर कम असर पड़ेगा और इससे दर्द भी कम होगा। बैठने के दौरान जो आप सबसे अच्छी चीज कर सकते हैं, वह है हर 15 मिनट में बैठने से ब्रेक लें और हर 15 मिनट, 30 मिनट 60 मिनट पर खड़े हो जाएं। सेहत से जुड़ी खबरों के अपडेट्स के लिए ग्रुप ज्वाईन करें https://chat.whatsapp.com/F3zl8cxSVbZALI1EPdrQsb

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16 हजार से ज्यादा हार्ट सर्जरी करने वाले देश के मशहूर कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. गौरव गांधी की हार्ट अटैक से मौत

16 हजार से ज्यादा हार्ट सर्जरी करने वाले देश के मशहूर कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. गौरव गांधी की हार्ट अटैक से मौत

खबरिस्तान नेटवर्क : देश के मशूहर कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. गौरव गांधी का निधन हो गया है। बता दें कि 41 वर्षीय गौरव गांधी अपने करियर में 16 हजार से ज्यादा हार्ट सर्जरी कर चुके थे। रिपोर्ट अनुसार हार्ट अटैक के कारण उनकी जान गई। घरवालों ने बताया कि रात में सोए गौरव गांधी सुबह सोकर नहीं उठे। घरवाले उन्हें अस्पताल ले गए तो डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। कहा जा रहा है कि वह पूरी तरह ठीक थे और एक दिन पहले अपने मरीजों का इलाज भी कर रहे थे। बता दें कि डॉ. गौरव गांधी गुजरात के जामनगर के रहने वाले थे। हैरानी की बात यह है कि डॉक्टर गौरव गांधी हार्ट स्पेशलिस्ट थे और खुद उनकी ही मौत हार्ट अटैक से हो गई। मेडिकल की दुनिया में इस घटना से हर तरफ शोक पसर गया है और बड़े-बड़े डॉक्टर भी उनकी मौत से हैरान हैं। आईये जानते हैं हार्ट फेल के लक्षण क्या है - हार्ट फेल, हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्‍ट क्‍या है? मेडिकल एक्सपर्ट अनुसार दिल के तीन हिस्से होते हैं- आर्टरीज जो ब्लड सप्लाई करती हैं, हार्ट मसल्स जो दिल की पंपिंग को जारी रखती हैं और इलेक्ट्रिकल सर्किट जिससे दिल धड़कता है। जब ये मांसपेशियां ठीक से पंप नहीं करतीं तो खून आगे बढ़ने के बजाय कहीं फंस जाता है या फेफड़ों में रीफ्लक्स हो जाता है, जब ऐसा होता है तो मरीज की सांस फूलती है, थकान महसूस होती है, चलना या काम करना नामुमकिन हो जाता है- इसे हार्ट फेल होना कहते हैं। जब आर्टरीज में ब्लॉकेज हो और हार्ट मसल को सप्लाई कम हो जाए तो शुरू में उसे एंजीना कहते हैं, पूरी तरह ब्लॉकेज को हार्ट अटैक कहते हैं। जब दिल के करेंट ठीक से काम नहीं कर रहे हों तो उन्हें पैलपिलेशंस माना जाता है। अगर ये करेंट अचानक से बढ़ जाए तो दिल काफी तेजी से कांपने लगता है, मरीज गिर सकता है - उसे सडेन कार्डियक अरेस्ट कहते हैं। ये भी पढ़ें ; मां का दूध केवल शरीर को मजबूत नहीं बनाता बल्कि दिमाग भी शार्प करता है, जानें इसके अन्य फायदे हार्ट फेल होने के शुरुआती लक्षणों में सांस लेने में विजिबल परेशानी, थकान और पैरों में सूजन शामिल है। एंजीना या हार्ट अटैक की सूरत में मरीज को चेस्‍ट में तेज दर्द उठता है। मूवमेंट पर शॉर्टनेस और ब्रेथ और आराम पर राहत भी एंजीना का लक्षण है। युवाओं में अचानक हार्ट अटैक की वजह - नाचते-गाते, हंसते-खेलते लोगों को हार्ट अटैक जा रहा है। ऐसा भी नहीं कि बूढ़े लोग या किसी बीमारी से परेशान शिकार बने हों। बहुत सारे मामलों में बेहद कम उम्र (30 साल से कम) के लोगों ने जान गंवाई। सोशल मीडिया पर पिछले दो साल के भीतर ऐसे वीडियोज की बाढ़ सी आ गई। है अचानक हो रही इन मौतों पर तरह-तरह की थियरी बनने लगीं। कोई कोविड-19 वैक्सीन को वजह बताता तो कोई जीन म्यूटेशन। मगर इनमें से कोई थियरी वैज्ञानिकों के पैमाने पर अब तक खरी नहीं उतरी। वैसे, अचानक मौतों को लेकर मेडिकल जगत की राय भी बंटी हुई है। कार्डियोलॉजी सोसाइटी ऑफ इंडिया के अनुसार, भारत दुनिया की क्रॉनिक हार्ट डिजीज कैपिटल है। एक्सपर्ट्स के अनुसार, भारतीयों का जीन ऐसा है जिसमें दिल की बीमारी होने की आशंका ज्यादा रहती है।कई एक्सपर्ट्स कोविड-19 से जुड़े मायोकार्डिटिस और पेरिकार्डिटिस की भूमिका को शक की नजर से देखते हैं, मगर डेटा इसकी पुष्टि नहीं करता।​ सेहत से जुड़ी खबरों के अपडेट्स के लिए ग्रुप ज्वाईन करें https://chat.whatsapp.com/F3zl8cxSVbZALI1EPdrQsb

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मां का दूध केवल शरीर को मजबूत नहीं बनाता बल्कि दिमाग भी शार्प करता है, जानें इसके अन्य फायदे

मां का दूध केवल शरीर को मजबूत नहीं बनाता बल्कि दिमाग भी शार्प करता है, जानें इसके अन्य फायदे

खबरिस्तान नेटवर्क : डॉक्टर नवजात के लिए केवल मां के दूध की सलाह देते हैं। इसे शिशु के लिए पूर्ण भोजन माना जाता है। स्तनपान के फायदे को नवजात शिशु के लिए महिलाएं इग्नोर नहीं कर सकती। स्तनपान के फायदे आप ऐसे समझ सकती है कि मां के दूध में एंटीबॉडी होता हैं जो बैक्टीरिया और वायरस से लड़ने के लिए बच्चे की इंम्यूनिटी सिस्टम के लिए जरुरी होता हैं। यही कारण है कि नवजात को पूरे साल तक केवल माँ का दूध पिलाने की सलाह दी जाती है। मगर क्या आप जानते हैं कि मां का दूध पीने वाले बच्चों का दिमाग पढ़ाई में भी दूसरे बच्चों से ज्यादा तेज होता है। जी हाँ, दरअसल एक स्टडी में हुए खुलासे से मां के दूध और एग्जाम में मार्क्स का कनेक्शन साफ हो गया है। जानें स्टडी में क्या हुआ खुलासा बता दें कि जर्नल आर्काइव्स ऑफ डिजिज इन चाइल्डहुड में पब्लिश इस स्टडी के लिए साल 2000 से 2002 बीच जन्मे 4940 बच्चों को चुना गया। इन सभी बच्चों के पढ़ाई के रिजल्ट का आंकलन किया गया। इसमें केवल एक ही पॉइंट शामिल किया गया कि सभी टीनएजर्स को पर्याप्त ब्रेस्ट मिल्क पीने को मिला है या नहीं? मांओ का इंटेलिजेंस टेस्ट भी लिया गया, जिसके लिए उनसे 20 शब्दों का वॉक्यूबलरी टेस्ट लिया गया ऑक्सफॉर्ड के रिसर्चर्स ने बच्चों के GCSE के ग्रेस का अध्ययन किया। जिन बच्चों ने पूरे एक साल तक मां का दूध पिया था उनके रिजल्ट मां का दूध नहीं पी पाने वाले बच्चों से कहीं ज्यादा बेहतर थे। इंग्लिश GCSE में उनके फेल होने की संभावना दूसरों के मुकाबले 25 प्रतिशत तक कम थी। इसी तरह जिन बच्चों ने चार माह तक दूध पिया था वो भी मां के दूध से वंचित रहे बच्चों से आगे थे। स्टडी की लीड ऑर्थर और यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड की Dr Reneé Pereyra-Elías ने बताया कि परीक्षा के बेहतर नतीजे ये जाहिर करते हैं कि जो मांएं बच्चों को दूध पिला सकती हैं उन्हें जरूर ब्रेस्ट फीड कराना चाहिए। लेकिन जो कुछ कारणों से इसमें पीछे हैं उन्हें मायूस नहीं होना चाहिए क्योंकि रिजल्ट को बेहतर बनाने के और भी बहुत से तरीके हैं। ये भी पढ़ें : क्या आप जानते हैं ज्वाइंट्स पेन का कारण है स्मार्ट फोन, रिसर्च में आया सामने जानें स्तनपान के अन्य फायदेःइम्यूनिटी बढ़ाए मां का दूध बच्चे के लिए ताकत प्रदान करता है। दरअसल मां के माँ के दूध में इम्युनोग्लोब्युलिन (immunoglobulin) का लेवल हाई होता है। जिससे बच्चे की इम्यूनिटी बढ़ती है। माँ के दूध में लेक्टोफोर्मिन नाम का तत्व होता है जो शिशु के आंतों में रोगाणु के पनपने से रोकते हैं। पाचन शक्ति बढ़ाए मां का दूध पीने से बच्चे की पाचन शक्ति मजबूत होती है। जब शिशु जन्म लेता है, तब उनकी पाचन शक्ति कमजोर होती है, ऐसे में अगर शिशु 6 महीने तक सिर्फ मां के दूध का सेवन करता है, तो इससे आंत मजबूत होती है। बीमारियों से बचाए मां का दूध इतना शक्तिशाली होता है कि इसके सेवन से शिशु किसी भी तरह की बीमारी से बचा रहता है। शिशु जब पैदा होता है, तो काफी कमजोर रहता है, जिसके कारण इंफेक्शन होने का खतरा बना रहता है। बच्चे को इंफेक्शन से बचाने के लिए ही 6 महीने तक मां का दूध पिलाने की सलाह दी जाती है। जिससे बच्चा पूरी तरह स्वस्थ्य रहे। मां के लिए भी होता है फायदेमंद शिशु को दूध पिलाने से मां का बढ़ा हुआ वजन भी कम होने लगता है। क्योंकि इससे कैलोरी बर्न होती है। यही नहीं प्रसव के बाद मां को अंदरूनी ब्लीडिंग होने की भी समस्या होती है। लेकिन अगर महिला स्तनपान कराती है, तो गर्भाशय का संकुचन होने के साथ-साथ इंटरनल ब्लीडिंग की समस्या भी बहुत हद तक कम होने लगती है। स्तनपान के फायदे बढ़ाने के लिए क्या करें अपना ध्यान रखना, सफल स्तनपान को बढ़ावा देने की दिशा में एक लंबा रास्ता तय कर सकता है। एक स्वस्थ आहार खाएं, बहुत सारे तरल पदार्थ पीएं और जितना संभव हो उतना आराम करें। अपने आत्मविश्वास को बढ़ाने के लिए, जितना हो सके आप स्तनपान कराएं। पर्यावरण को शांत और तनावमुक्त रखें। समर्थन के लिए अपने साथी और अन्य प्रियजनों को देखें। मदद के लिए पूछने से डरें मत। कई अस्पतालों और क्लीनिकों में स्तनपान सलाहकार उपलब्ध हैं। आपके बच्चे के डॉक्टर भी मदद करने में सक्षम हो सकते हैं। सेहत से जुड़ी खबरों के अपडेट्स के लिए ग्रुप ज्वाईन करें https://chat.whatsapp.com/F3zl8cxSVbZALI1EPdrQsb

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World Brain Tumor Day 2023 : जानें ब्रेन ट्यूमर के प्रति जागरूक होना क्यों है जरूरी

World Brain Tumor Day 2023 : जानें ब्रेन ट्यूमर के प्रति जागरूक होना क्यों है जरूरी

खबरिस्तान नेटवर्क। ब्रेन ट्यूमर के बारे में लोगों को जागरूक करने, प्रभावित लोगों का सम्मान करने और चल रहे शोध प्रयासों का समर्थन करने के लिए हर साल 8 जून को World Brain Tumor Day मनाया जाता है। यह दिन लोगों को ब्रेन ट्यूमर के लक्षणों और लक्षणों, शुरुआती पहचान के महत्व और उपलब्ध उपचार विकल्पों के बारे में शिक्षित करने के लिए एक मंच के रूप में कार्य करता है। क्या होता है ब्रेन ट्यूमर बता दें कि मस्तिष्क की कोशिकाओं में असामान्य वृद्धि होने से जो गांठ बन जाती है, उसे ही ब्रेन ट्यूमर कहते हैं। डॉक्टर विपुल कक्कड़ जोकि नीमा पंजाब के ट्रेजरर हैं, ने बताया कि ब्रेन ट्यूमर कैंसर का एक स्वरूप है। ब्रेन ट्यूमर में मस्तिष्क के टिश्यूज असामान्य रूप से तेजी से बढ़ते हैं, जिसके कारण मस्तिष्क के आंतरिक भाग में दबाव बढ़ता है। इसके कारण सिरदर्द सहित कई समस्याएं शुरू हो जाती हैं। ब्रेन ट्यूमर जो मस्तिष्क में उत्पन्न होते हैं, उन्हें प्राइमरी बेन ट्यूमर कहते हैं, वही जो ट्यूमर शरीर के अन्य भागों जैसे किडनी, लिवर, फेफड़ों आदि के जरिए मस्तिष्क तक पहुंचते हैं, उन्हें सेकेंडरी या मेटास्टैटिक ट्यूमर कहते हैं। ये भी पढ़ें : अक्ल की दाढ़ आने पर ब्लीडिंग जैसी समस्या हो सकती हैं, जानें इस से बचाव के तरीके ब्रेन ट्यूमर के लक्षण 1. ब्रेन ट्यूमर में सबसे आम लक्षण हमेशा सिरदर्द रहना है। 2. रात में नींद नहीं आना। 3. चक्कर या उलटी आना। 4. आंखों की रोशनी कम होने लगती है। 5. याददाश्त कमजोर होना। 6. चेहरे, हाथों और पैरों में कमजोरी और इनमें सनसनी होना। 7. स्वाद और सूंघने की शक्ति का कमजोर होना। 8. दौरा पड़ना। ऑपरेशन करके निकाल सकते हैं लक्षणों के स्पष्ट होने के बाद सीटी स्कैन या एमआरआई से ब्रेन ट्यूमर होने की पुष्टि होती है। यदि ब्रेन ट्यूमर के मामले में कैंसर का जोखिम नहीं है, तो उसे ऑपरेशन के जरिए निकाला जा सकता है और मरीज की जिंदगी को बचाया जा सकता है। अगर ब्रेन ट्यूमर का मामला शुरू में ही पकड़ में आ गया, तो आधुनिक उपचार से उसे सही किया जा सकता है। सेहत से जुड़ी खबरों के अपडेट्स के लिए ग्रुप ज्वाईन करें https://chat.whatsapp.com/F3zl8cxSVbZALI1EPdrQsb

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अक्ल की दाढ़ आने पर ब्लीडिंग जैसी समस्या हो सकती हैं, जानें इस से बचाव के तरीके 

अक्ल की दाढ़ आने पर ब्लीडिंग जैसी समस्या हो सकती हैं, जानें इस से बचाव के तरीके 

खबरिस्तान नेटवर्क : अकल दाढ़ सामान्य तौर पर 17 से 25 साल की उम्र में आ जाती है। लेकिन कई परिस्थितियों में यह बाद में भी दिखाई देती है। इसमें व्यक्ति के पीछे के दांत निकलने शुरू हो जाते हैं और वह उस दौरान संक्रमित भी हो सकते हैं, जिसके कारण अकल दाढ़ में अत्यधिक दर्द और तकलीफ महसूस होती है। विजडम टूथ या अक्ल दाढ़ आने पर दांतों में असहनीय दर्द के साथ कई गंभीर परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। इसकी वजह से आपके मसूड़ों से ब्लीडिंग और पास निकलने की समस्या भी हो सकती है। दरअसल, अक्ल दाढ़ जबड़े के आखिर हिस्से में निकलते हैं, इससे कई लोगों को मुंह खोलने और खाने-पीने में भी दिक्कत का सामना करना पड़ता है। बता दें कि अकल दाढ़ का दर्द आमतौर पर खुद ब खुद ठीक हो जाता है। लेकिन कई मामलों में अस्पताल का उपचार या डेंटल सर्जरी की जरूरत पड़ती है। हम आपको बताते हैं इसके घरेलू उपचार और लक्षणों के बारे में - अकल दाढ़ दर्द के लक्षण अकल दाढ़ का दर्द पीछे वाले दांतों के पीछे महसूस होता है। बता दें कि कभी-कभी ऐसा भी लगता है जैसे मानों अकल दाढ़ आपके मसूड़ो को प्रभावित कर रही है। इसके चलते सूजन, लालिमा, छूने पर दर्द आदि महसूस होने लगता है। कुछ लोग इस दर्द से पूरे वक्त परेशान रहते हैं तो कुछ लोगों को केवल छूने मात्र से तकलीफ होती है। वहीं कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो केवल मुंह खोलने पर दर्द महसूस करते हैं। इसके अलावा ये भी इसके लक्षण हैं - - मुंह के स्वाद में बदलाव आना - दांतों में दर्द महसूस करना - सूजन आ जाना - ब्रश करते वक्त खून का आना - मुंह से बदबू का आना - भोजन का स्वाद ना आ पाना अकल दाढ़ के दर्द के कारण 1 - दातों का टेढ़े मेढ़े आना 2 - दांतों की सतह पर संक्रमण होना 3 - जब अकल दाढ़ मसूड़ों के अंदर से निकलती है तो वह दबाव देकर अपना रास्ता बनाती है। जब दबाव अधिक पड़ता है तो मसूड़ों में दर्द शुरू हो जाता है। 4- जब अकल दाढ़ निकलने के लिए जगह नहीं बचती तो वह टेढ़ी-मेढ़ी रूप में निकलती है, जिससे और दर्द महसूस होता है। 5- अकल दांढ़ का लेट कर निकलना 6 - अन्य दांतों की तरह बढ़ना लेकिन जबड़े की हड्डी के साथ फस जाना ये भी पढ़ें - क्या आप जानते हैं ज्वाइंट्स पेन का कारण है स्मार्ट फोन, रिसर्च में आया सामने अक्ल दाढ़ के कारण होने वाली समस्याएं- 1. इन्फेक्शन का खतरा अक्ल दाढ़ की वजह से आपको मुंह के इन्फेक्शन का खतरा भी रहता है। दरअसल जब आपको अक्ल दाढ़ आना शुरू होता है, तो इसकी वजह से मुंह की साफ-सफाई ठीक ढंग से होना मुश्किल होता है। इसकी वजह से संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। इसकी वजह से कैविटी और इन्फेक्शन की समस्या हो सकती है। ज्यादा समय तक इसका शिकार होने पर संक्रमण गंभीर स्थिति में जा सकता है। इससे बचने के लिए ओरल माउथवॉश का इस्तेमाल और मुंह की साफ-सफाई का ध्यान रखना चाहिए। 2. मसूड़ों में दर्द और सूजन अक्ल दाढ़ आने पर आपको गंभीर दर्द हो सकता है और इसकी वजह से मसूड़ों में सूजन हो जाती है। दरअसल, ये दांत मसूड़ों से बाहर निकलता है। जबड़ों में पर्याप्त जगह न होने पर इसका दर्द और बढ़ जाता है। इस स्थिति में आप दर्द से बचने के लिए आपको लौंग के तेल का इस्तेमाल करना चाहिए। इससे दर्द और सूजन को कम करने में मदद मिलती है। 3. मुंह का स्वाद बदलना अक्ल दाढ़ या विजडम टूथ की वजह से आपके मुंह का स्वाद बदल जाता है। दरअसल, इस स्थिति में साफ-सफाई सही से न होने के कारण बैक्टीरिया पनपने लगते हैं। इसकी वजह से स्वाद बदल जाता है। इस स्थिति से बचने के लिए रोजाना सुबह और शाम के समय ओरल माउथवॉश से मुंह को साफ करना चाहिए। आप गुनगुने पानी में नमक डालकर गरारा भी कर सकते हैं। 4. माउथ अल्सर का खतरा अक्ल दाढ़ आने के कारण आपको माउथ अल्सर का खतरा भी रहता है। दरअसल, ये दांत मसूड़ों को चीरकर बाहर आते हैं। जगह की कमी होने पर दांत अंदर के गाल और मसूड़ों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इससे माउथ अलसर का खतरा रहता है। इस स्थिति से बचने के लिए आपको डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए। कुछ मामलों में परेशानी बढ़ने पर डॉक्टर दांत निकाल देते हैं। 5. पेरिकोरोनाइटिस का खतरा पेरिकोरोनाइटिस मसूड़ों से जुड़ी गंभीरबीमारी है। इस समस्या में दांत के आसपास मसूड़ों में दर्द और सूजन के साथ लालिमा हो जाती है। इस स्थिति से बचने के लिए मुंह की साफ-सफाई का ध्यान रखना चाहिए। अकल दाढ़ के दर्द से बचाव 1- पानी पीने से बैक्टीरिया और भोजन के कण दांतों में नहीं चिपकते हैं। 2- दो बार ब्रश करने से या माउथवॉश के प्रयोग से बैक्टीरिया को बढ़ने से रोका जा सकता है व संक्रमण का खतरा भी कम हो जाता है। 3- मीठे खाद पदार्थों का सेवन अगर आप कम करते हैं तो बैक्टीरिया कम विकसित होते हैं। लेकिन अगर परेशानी ज्यादा हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। सेहत से जुड़ी खबरों के अपडेट्स के लिए ग्रुप ज्वाईन करें https://chat.whatsapp.com/F3zl8cxSVbZALI1EPdrQsb

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क्या आप जानते हैं ज्वाइंट्स पेन का कारण है स्मार्ट फोन, रिसर्च में आया सामने 

क्या आप जानते हैं ज्वाइंट्स पेन का कारण है स्मार्ट फोन, रिसर्च में आया सामने 

खबरिस्तान नेटवर्क। हमने अक्सर स्मार्टफोन के जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल से होने वाले नुकसान के बारे में सुना है। इसके कारण केवल आंखों, नींद, याद्दाश्त और सीखने के कौशल पर ही बुरा असर नहीं पड़ता है, बल्कि अब इसमें जोड़ों के दर्द की समस्या भी जुड़ गई है। जी हाँ स्मार्टफोन इस्तेमाल करते समय हमारे उठने-बैठने के खराब शारीरिक तौर तरीकों के कारण जोड़ों पर भी बुरा असर पड़ रहा है। बता दें कि मोबाइल देखते समय लगातार गर्दन आगे की ओर झुकी रहने से सर्वाइकल में चोट पहुंचने और पीठ में कूबड़ निकलने की आशंका रहती है। इसके साथ ही जोड़ों को आपस में जुड़ा रखने वाले लिगामेंट की बनावट में भी खराबी आ सकती है। दरअसल नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ की रिसर्च के अनुसार बच्चों में जोड़ों की समस्याएं बढ़ी हुई देखी जा रही हैं। ऑस्टियोअर्थराइटिस की समस्या हो सकती है मोबाईल पर लगातार टाइपिंग से उंगलियों और खास तौर पर अंगूठे में ऑस्टियोअर्थराइटिस के पहले स्टेज की समस्या हो सकती है। आम तौर पर ये समस्या बुजुर्गों में देखने को मिलती है, लेकिन अब ये बच्चों और युवाओं में तेजी से अपनी पैठ बना रही है। हैंड आर्म वाइब्रेशन सिंड्रोम जिन बच्चों को मोबाइल पर गेम खेलने की आदत होती है उनमें ये समस्या देखने को मिलती है। उनके हाथों में अत्यधिक दर्द होने लगता है जो लगातार बना रहता है। हाथ कमजोर भी हो जाते है। ये भी पढ़ें : क्या पीने का पानी भी कमजोर कर सकता है हड्डियां? सच्चाई कर देगी आपको हैरान गर्दन और कंधे में दर्द रोजाना दो से तीन घंटे से ज्यादा मोबाइल प्रयोग से गर्दन, कंधे और पीठ में दर्द शुरू हो सकता है। खासतौर पर लेट कर मोबाइल देखने की आदत बेहद खतरनाक होती है। मांसपेशियों में खिंचाव और कोहनी की समस्या लगातार हाथों को मोड़े रहने से कोहनी के लचीलेपन और मूवमेंट में दिक्कत आ सकती है। जोड़ों और लिगामेंट में सुन्नाहट फोन के ज्यादा इस्तमाल से कई बार हाथों और कलाई में झनझनाहट, दर्द, सुन्नपन या डिफॉर्मिटी होने लगती है। कलाई और हाथ के मूवमेंट पर असर अगर मोबाइल लगातार हाथ में है और इस्तेमाल हो रहा है तो उसे एक ही पोजिशन में रखना पड़ता है। ऐसे में कई कई घंटे तक हमारा हाथ एक ही अवस्था में रह जाता है। इस कारण कलाई और हाथों के मूवमेंट के सख्त होने की समस्या देखने को मिलती है यानी कि आपकी कलाई और हाथों को जितना लचीला रहना चाहिए, वे उतने लचीले नहीं रह जाते। सेहत से जुड़ी खबरों के अपडेट्स के लिए ग्रुप ज्वाईन करें https://chat.whatsapp.com/F3zl8cxSVbZALI1EPdrQsb

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