वेब ख़बरिस्तान। पंजाब से बड़ी ख़बर सामने आई है। राज्य की किसान यूनियनें दो हिस्सों में बंट गई हैं। पंजाब सरकार के खिलाफ 23 संगठनों ने धरना दिया था। तब से अब तक 16 किसान संगठन बंट चुके हैं। 16 किसान यूनियनों ने अलग संघर्ष की घोषणा की है। जालंधर में 16 यूनियनों ने आपात बैठक बुलाई है। अब किसान संगठनों ने दूसरी राह पकड़ ली है। 23 किसान संगठनों द्वारा कर्जमाफी और किसान आत्महत्या का मुद्दा नहीं उठाए जाने पर नाराजगी जताई जा रही है। किसान संघ के नेता एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं। एक मार्ग आने वाले सभी विकल्प बंद हो गए हैं।
जगजीत ढलेवाल पर लगे आरोप
जगजीत ढलेवाल पर बड़े आरोप लगाए जा रहे हैं। वहीं मंजीत सिंह राय, हरमीत कादियां, बूटा बुर्जगिल और अन्य नेताओं ने अलग गुट बना लिया है। बूटा बुर्ज गिल का कहना है कि ढलेवाल सभी को एक साथ नहीं होने दे रहे हैं। इससे किसान मांगों को लेकर पिछड़ रहे हैं। कर्जमाफी और किसान आत्महत्या के मुद्दे पर 16 किसान संगठन जल्द ही बड़े संघर्ष की तैयारी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि किसानों के कर्ज और आत्महत्या के मुद्दे पर फिर से लड़ाई लड़ी जाएगी। उन्होंने कल के मोर्चे को सरकार का प्रयोग और सहयोग करार दिया।
23 किसान संगठनों ने पंजाब सरकार के खिलाफ लड़ी लड़ाई
गौरतलब है कि इससे पहले 23 किसान संगठनों ने पंजाब सरकार के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी। किसान संगठनों ने सरकार के सामने 13 मांगें रखी थीं। इनमें से 12 को सरकार ने स्वीकार कर लिया है। सरकार ने घोषणा की थी कि जल्द ही सभी मांगों को पूरा किया जाएगा। पंचायत मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल ने मंच पर आकर किसानों की सहमति का औपचारिक ऐलान किया था।