भगवंत मान सरकार की कांग्रेस के एक और पूर्व मंत्री पर नजर, अब सैनिटाइजर घोटाले में इस पूर्व मंत्री पर होगी कारवाई



डिप्टी सीएम रहे ओपी सोनी का नाम सैनिटाइजर घोटाले में सामने आ रहा है

वेब खबरिस्तान। कांगेस के पूर्व वन मंत्री साधू सिंह धर्मसोत और संगत सिंह गिलजियां के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले में केस दर्ज होने और पूर्व मंत्री भारत भूषण आशु के खिलाफ विजिलेंस जांच शुरू करने के बाद पूर्व स्वास्थ्य मंत्री व डिप्टी सीएम रहे ओपी सोनी का नाम सैनिटाइजर घोटाले में सामने आ रहा है। अब सरकार उनके खिलाफ कार्रवाई की तैयारी कर रही है।

बता दें कि स्वास्थ्य मंत्री रहते तीन गुणा ज्यादा कीमत पर सैनिटाइजर खरीदने को दी थी अनुमति देने का आरोप लगाया गया है।  

दरअसल ओपी सोनी ने बुधवार को आरोपों के बारे में अपना पक्ष रखने के लिए प्रेस कांफ्रेंस रखी थी, लेकिन बाद में इसे यह कहते हुए रद कर दिया कि पार्टी हाईकमान ने कांग्रेस नेताओ को दिल्ली बुलाया है। उन्होंने कहा कि वह जल्द ही अपना पक्ष रखेंगे।

ओपी सोनी पर स्वास्थ्य मंत्री रहते हुए कोविड के दौरान तीन गुणा अधिक कीमत पर सैनिटाइजर खरीदने का आरोप है, जिसका सारा रिकार्ड राजस्व विभाग ने मांग लिया है। दरअसल, कोविड को आपदा करार दिया गया था, जिसके चलते इस पर खर्च होने वाला पैसा डिजास्टर मैनेजमेंट फंड से लिया गया। राजस्व विभाग ने स्वास्थ्य विभाग से सारा रिकार्ड एक हफ्ते के अंदर पेश करने को कहा है। राजस्व विभाग ने स्वास्थ्य विभाग के सचिव अजॉय शर्मा से खरीद के लिए दी गई अनुमति की असल कापी के साथ सारी फाइल भेजने को कहा है।


राजस्व विभाग ने स्वास्थ्य विभाग को एक हफ्ते में रिकार्ड पेश करने को कहा

राजस्व विभाग के अधिकारियों ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग ने महंगे दाम पर सैनिटाइजर खरीदा है, जबकि उसी समय चुनाव विभाग ने भी पंजाब हेल्थ सिस्टम कारपोरेशन के जरिए सैनिटाइजर खरीदा, जो स्वास्थ्य विभाग के मुकाबले काफी सस्ता है।

उन्होंने बताया कि चुनाव आयोग के लिए 1.80 लाख बोतलें 54.54 रुपये प्रति बोतल की दर पर खरीदी गई, जबकि स्वास्थ्य विभाग ने वही सैनिटाइजर अपने लिए करीब तीन गुणा ज्यादा कीमत पर 160 रुपये प्रति बोतल के हिसाब से खरीदा। स्वास्थ्य विभाग के लिए सैनिटाइजर खरीदने की फाइल पर अनुमति तब के स्वास्थ्य मंत्री ओपी सोनी ने दी थी।

95 करोड़ के यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट मांगे

राजस्व विभाग ने स्वास्थ्य विभाग को कोविड से लड़ने के लिए 571 करोड़ रुपये उपलब्ध करवाए गए, जिसमें से अभी तक 475.83 करोड़ रुपये के यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट दिए गए हैं। राजस्व विभाग ने स्वास्थ्य विभाग से शेष बची 95 करोड़ रुपये की राशि के सर्टिफिकेट देने को कहा है। यह भी लिखा है कि अगर यह राशि खर्च नहीं की गई है, तो इसे विभाग को वापस किया जाए।

मुख्यमंत्री ने भी मांगी रिपोर्ट

बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री भगवंत मान ने भी इस पर रिपोर्ट मांगी है। हालांकि, स्वास्थ्य विभाग के एक पूर्व अधिकारी ने माना कि कोविड के दौरान किसी भी चीज का रेट तय नहीं था। दुकानदारों और कंपनियों ने कई चीजों के दाम काफी बढ़ा दिए थे, लेकिन अगर किसी एक ही चीज को दो विभागों के लिए खरीदा जा रहा है और उसकी मात्रा व गुणवत्ता एक है, तो कहीं न कहीं घोटाले की बू आती है। रिकार्ड आने पर ही कुछ स्पष्ट हो पाएगा।

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