वेब खबरिस्तान। पंजाब विजिलेंस ब्यूरो की ओर से रिश्वतखोरी के आरोप में 2 जून को गिरफ्तार किए गए मोहाली के डीएफओ गुरअमन सिंह से की गई पूछताछ में वन विभाग में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार की परतें खुलने लगी हैं। इनमें अधिकारियों-मंत्रियों के अलावा समाचार पत्रों व टीवी चैनलों के 15 पत्रकारों के नाम भी उजागर हुए हैं। इन्होने वन भूमि अवैध तरीके से खरीदी और वहां लगे पेड़ों को अवैध तरीके से काटकर लाखों रुपये के वारे-न्यारे कर लिए।
जानकारी मुताबिक़ विजिलेंस ब्यूरों ने आरोपियों की सूची उनके कारनामों समेत मुख्यमंत्री भगवंत मान को भेज दी है, जिस पर मुख्यमंत्री आवास पर चर्चा के बाद जांच के आदेश जारी किए गए हैं।
पत्रकारों के खिलाफ सबूत जुटाने शुरू
डीएफओ से पूछताछ में 15 पत्रकारों से नाम उजागर हुए हैं, जिन्हें करोरां, मिर्जापुर और सिसवां में वन विभाग की जमीन बांटी गई और उन्होंने इस जमीन पर लगे पेड़ काटकर बेच दिए। सूत्रों मुताबिक़ विजिलेंस ब्यूरो ने इन सभी पत्रकारों के खिलाफ सबूत जुटाने शुरू कर दिए हैं। इनके खिलाफ अब तक मिले सबूतों के आधार पर विजिलेंस ने आगे कार्रवाई करने के लिए मुख्यमंत्री से अनुमति मांगी है। मुख्यमंत्री ने सभी आरोपियों की जांच के आदेश जारी कर दिए हैं। ब्यूरो अगले हफ्ते में बड़ी कार्रवाई कर सकता है।
वन विभाग में हुआ भ्रष्टाचार
बता दें कि विजिलेंस ब्यूरो ने डीएफओ गुरअमन सिंह को 2 लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए एक स्टिंग आपरेशन के आधार पर गिरफ्तार किया था। पूछताछ में सामने आया कि तत्कालीन वन मंत्री साधू सिंह धर्मसोत और उनके बाद वन मंत्री बने संगत सिंह गिलजियां की शह पर विभाग में जबरदस्त भ्रष्टाचार हुआ। वन विभाग की जमीनों को औने-पौने दाम पर फार्म हाउस बनाने के लिए चहेतों को दे दिया गया और जिन्हें यह जमीन मिली, उन्होंने वहां लगे खैर समेत अन्य कीमती पेड़ों को काटकर बेच दिया। विजिलेंस ने गत 8 जून को अमलोह में साधू सिंह धर्मसोत को गिरफ्तार किया था, जबकि संगत सिंह गिलजियां एफआईआर में नाम आने के बाद से फरार हैं।