ख़बरिस्तान नेटवर्क/पंजाब नाऊ। नतीजों से पहले सभी चुनावी पंडित कह रहे थे कि हंग असेंबली बनेगी, फिर एग्जिट पोल आए तो सबने आम आदमी पार्टी की सरकार बनने की बात कही, सिवाय दैनिक भास्कर अखबार को छोड़कर। नतीजों के बाद आप के आलोचक कहने लगे कि ये आम आदमी पार्टी की जीत नहीं बल्कि कांग्रेस और अकाली दल की हार है। लोग दोनों पार्टियों से दुखी थे। इसलिए आप को मौका मिला है। इस पहलू में कुछ हद तक दम है मगर पंजाब में आम आदमी पार्टी की जीत ऐसे ही नहीं मिली है। ये जीत बेहद प्लांड तरीके से काम करने का नतीजा है। राजनीति अब आदेशों से चलने वाली चीज नहीं रह गई।
वो जमाने गए जब चुनाव से पहले पार्टी के पद बांटकर और बड़े-बड़े वायदे करके चुनाव जीत लिए जाते थे। खैर वायदों पर तो अभी आम आदमी पार्टी भी कितना उतरेगा ये देखना होगा, मगर आम आदमी पार्टी की जीत कोई तुक्का नहीं है। केजरीवाल की टीम ने हर मोर्चे पर बढ़िया प्रदर्शन किया। शुरुआत हुई थी पिछले साल 11 अप्रैल से जब केजरीवाल ने झाड़ू चलाओ यात्रा शुरू की थी। क्या थी आम आदमी पार्टी की रणनीति। पार्टी ने तीन स्तर पर काम किया। एक टीम रणनीतिकार संदीप पाठक की अध्यक्षता में बनी, जिसमें उनके साथ चार लोगों ने काम देखा। ये टीम पर्दे के पीछे थी।
दूसरी टीम थी नेता विपक्ष हरपाल सिंह चीमा और अनमोल गगन मान की। चीमा ने समय-समय पर कांग्रेस के खिलाफ मोर्चा खोलकर रखा और चंडीगढ़ में बड़े प्रदर्शन किए। चीमा मुलाजिमों के बीच पहुंचे। सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे मुलाजिमों से मिले और उनमें अपनी जगह बनाई। अनमोल गगन मान को दिल्ली माडल को पंजाब के लोगों तक पहुंचाने की जिम्मेदारी मिली थी। वह समय समय पर दिल्ली गईं और वहां के मॉडल को मीडिया और सोशल मीडिय के जरिए लोगों तक पहुंचाया। तीसरा मोर्चा खुद अरविंदर केजरीवाल और भगवंत मान ने संभाला। उन्होंने लोगों से राब्ता बनाने का काम किया।
दिल्ली मॉडल का सपना
आम आदमी पार्टी ने पंजाब के लोगों को दिल्ली मॉडल का सपना दिखाया, जहां बिजली के यूनिट मुफ्त हैं। सरकारी स्कूल अच्छे हैं और मोहल्ला क्लिनिक चल रहे हैं। इसे लेकर आम आदमी पार्टी ने पंजाब के लोगों के बीच खूब प्रचार किया। विधायक अनमोल गगन मान ने दिल्ली जाकर इस मॉडल को देखा और लोगों को भी दिखाया। इसे लेकर आम आदमी पार्टी ने प्रदेश की कांग्रेस सरकार को घेरा।
बिजली को लेकर चंडीगढ़ में प्रदर्शन हुए। एजुकेशन को लेकर आप ने सरकार के खिलाफ उतरे मुलाजिमों का साथ दिया। एक बार तो केजरीवाल खुद टंकी पर चढ़े मुलाजिमों से मिलने पहुंच गए थे। स्कूलों के मुद्दे पर मनीष सिसोदिया ने पूर्व शिक्षा मंत्री परगट सिंह को फंसा लिया और उन्हें खुली बहस का चैलेंज दे दिया। परगट सिंह आम आदमी पार्टी की इस चुनौती के आगे फीके पड़ गए।
किंग मेकर
इस जीत में पंजाब में पार्टी के रणनीतिकार संदीप पाठक की अहम भूमिका रही है। केजरीवाल ने जीत के बाद इतवार को जब विधायकों से बात की तो सबके धन्यवाद के बाद पाठक को भी धन्यवाद कहा। संदीप आईआईटी से पढ़े हैं, लंदन रिटर्न हैं। वो पहले जानेमाने राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर के साथ भी काम कर चुके हैं। संदीप पाठक 2020 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में भी आम आदमी पार्टी के अभियान को मैनेज कर चुके हैं।
शुरू से पंजाब की चुनावी कैंपेन को इस तरीके से डिजाईन किया गया कि वो आम लोगों की सोच में दाखिल हो सके। चाहे वो एक मौका केजरीवाल को या एक मौका पंजाब को फिर देखो पंजाब को। संदीप पाठक के नेतृत्व में उनके पांच लोगों की एक टीम बनी जो ख़ुद भी सोशल मीडिया और चुनाव की लाइमलाइट से दूर रही। पंजाब को पांच ज़ोन में बांटा गया और एक व्यक्ति को एक ज़ोन की ज़िम्मेदारी दी गई। हर ज़ोन का पूरा अध्ययन करने के बाद उन्होंने चुनाव के लिए उम्मीदवारों को चुनने में मदद की। साथ ही यह भी पता लगाया गया कि किस उम्मीदवार को टिकट देने से किस प्रकार की नाराज़गी फैल सकती है. समय रहते पार्टी ने इसका हल भी निकाला।
बेअदबी व बरगाड़ी कांड
बेअदबी के जिस मुद्दे को लेकर अकाली दल को सत्ता गंवानी पड़ी कांग्रेस को भी उसका खामियाजा भुगतना पड़ा। आम आदमी पार्टी इस मुद्दे की गंभीरता को समझ गई थी। हालांकि नवजोत सिंह सिद्धू इस मुद्दे को हर बार दोहराते थे। मगर आप ने इस मसले में पूर्व पुलिस अधिकारी कुंवर विजय प्रताप सिंह को पार्टी ज्वाईन करवाकर मास्टर स्ट्रोक खेला। इस मामले की जांच से जुड़े ईमानदार छवि वाले कुंवर विजय प्रताप सिंह से बेहतर कौन था जो इस मामले को जनता के बीच ला सकता था। कुंवर ने समय-समय पर इस मुद्दे को उठाया और इसकी पर्तें खोलीं। हालांकि इस पर अरविंद केजरीवाल और भगवंत मान कम बोले।
बदलाव के लिए वोट
आम आदमी पार्टी ने अपने अभियान में शुरू से ही ये नैरेटिव सेट किया कि पिछले बीस साल से जनता ने अकाली दल, बीजेपी या कांग्रेस का शासन देखा है, इसलिए इस बार नई पार्टी को वोट देकर देखा जाए। यही बात लोगों को रास आई औऱ उन्होंने एक मौका आप को दे दिया।
साथ ही पार्टी ने अपने दिल्ली मॉडल पर ख़ासा ज़ोर दिया जिसे वो शिक्षा, स्वास्थ्य, रोज़गार का मॉडल कहती है. उन्होंने तीन सौ यूनिट फ़्री बिजली और 18 साल से ऊपर की औरतों को हज़ार रुपये महीना देने जैसे वादे भी किए हैं. वहीं, किसान आंदोलन की वजह से कृषि से जुड़ी समस्याएं भी चर्चा में आईं और इसे लेकर पुरानी सरकारों की नाकामियों पर भी चुनाव में काफ़ी चर्चा थी।
महिलाओं पर फोकस किया
इस चुनाव में सिर्फ आम आदमी पार्टी ही ऐसी थी जिसने केवल महिलाओं के लिए जनसभाएं की। इसका आम आदमी को बहुत फायदा मिला। जनसभाओं में महिलाओं का जोश देखकर आखिर में अरविंद केजरीवाल ने पत्नी और बेटी को भी इनसे जोड़ा। भगवंत मान की मां ने भी इनमें भाग लिया। उनकी भावुक अपील भी काम कर गई और भगवंत मान को जबरदस्त समर्थन मिल गया।
व्यापारियों से संपर्क साधा
बहुत पहले ही आम आदमी पार्टी ने व्यापारियों और कारोबारियों से बातचीत शुरू कर दी थी। दिसंबर में सबसे पहले विधायक सौरभ भारद्वाज ने इसकी शुरुआत की थी। फिर अरविंदर केजरीवाल और कुंवर विजय प्रताप ने मिलकर व्यापारियों के मसले सुने। केजरीवाल के अलावा मनीष सिसोदिया भी व्यापारियों से मिले। व्यापारियों ने अपनी समस्याएं बताईँ। अरविंद केजरीवाल ने इस पर जो आश्वासन उन्हें दिया व्यापारी वर्ग को उनकी बात समझ आ गई। पिछले चुनाव में भी अरविंद कारोबारियों से मिले थे।
मालवा का कैंपेन
69 सीटों वाले मालवा पर पार्टी का पूरा फोकस था। 2017 के चुनाव में पार्टी ने कुल 20 सीटें जीती थीं जिसमें से 18 मालवा क्षेत्र की थीं। किसान आंदोलन का मुख्य केंद्र भी यही क्षेत्र था। पार्टी ने इस बार भी मालवा पर ज़्यादा ध्यान दिया। मालवा को तीन ज़ोन में बांटा गया था और यहां पार्टी ने ज़ोरदार अभियान चलाया। चुनाव के नतीजे बताते हैं कि पार्टी को यहां साठ से ज़्यादा सीटें मिली हैं। पंजाब के बारे में ये कहा जाता है, जो मालवा जीतता वही ंपंजाब जीतता है। इस बार भी ऐसा ही देखने को मिला है।
गलती नहीं दोहराई
आम आदमी पार्टी ने इस बार समय रहते औऱ स्पष्ट तरीके से अपना मुख्यमंत्री उम्मीदवार भगवंत मान को घोषित किया। साल की शुरुआत से ही पंजाब में आम आदमी पार्टी के मुख्यमंत्री पद के लिए चेहरे को लेकर संशय बना हुआ था। पार्टी के बीच भगवंत मान को मुख्यमंत्री का उम्मीदवार बनाने का दबाव बढ़ता जा रहा था।
केजरीवाल ये जरूर कह रहे थे कि सीएम का चेहरा पंजाब से ही होगा, मगर ये कहने से बच रहे थे कि वो चेहरा भगवंत मान होगा। मगर अरविंद केजरीवाल ने इस बार भगवंत मान की दावेदारी को भी एक कैंपेन बनाकर पेश किया। इस कैंपेन ने पार्टी वर्करों में नया जोश भर दिया। भगवंत मान के सीएम फेस घोषित होते ही पंजाब में आम आदमी पार्टी का चुनावी ग्राफ और ऊपर चलगा गया।
इससे पहले 2017 के पंजाब विधानसभा चुनाव में भी सीएम पद के उम्मीदवार को लेकर इसी तरह की स्थिति थी. पंजाब में आम आदमी पार्टी के लगभग आधे उम्मीदवार दूसरी पार्टियों से निकल कर 'आप' में शामल हुए थे। इसलिए दिल्ली और पंजाब के बीच ठनने की स्थिति आ सकती थी।
लेकिन इस बार पार्टी आलाकमान ने वक़्त रहते फ़ैसला लिया और भगवंत मान को मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के चेहरे के रूप में पेश किया। इसके लिए पार्टी ने अपने कार्यकर्ताओं के बीच रेफ़रेंडम (जनमत संग्रह) भी करवाया।