खबरिस्तान नेटवर्क। 114 वर्षीय प्रसिद्ध धावक फौजा सिंह का आज दोपहर 12 बजे अंतिम संस्कार किया जाएगा। सुबह 9 बजे शव को अंतिम दर्शन के लिए रख दिया गया, जिसके बाद लगातार लोग पहुंच रहे हैं। जालंधर स्थित उनके पैतृक गांव ब्यास पिंड में उन्हें अंतिम विदाई दी जाएगी। जानकारी के अनुसार मुख्यमंत्री भगवंत मान और राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया भी उन्हें श्रद्धांजलि देने पहुंचेंगे।
इलाज के दौरान हुई मौत
बता दे कि फौजा सिंह को उनके घर से 120 मीटर की दूरी पर हाईवे क्रॉस करते हुए फॉर्च्यूनर सवार NRI अमृतपाल सिंह ढिल्लों ने टक्कर मार दी थी। जिसके बाद इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई थी। हालांकि जालंधर पुलिस ने मामले में कपूरथला के रहने वाले NRI अमृतपाल सिंह को गिरफ्तार कर लिया था। उसे कोर्ट में पेश करने के बाद पुलिस ने जेल भेज दिया।
89 वर्ष की उम्र में दौड़ शुरू की
89 वर्ष की आयु में, उन्होंने मैराथन दौड़ना शुरू किया और कई रिकॉर्ड बनाए, जैसे 2003 में टोरंटो वाटरफ्रंट मैराथन में 5 घंटे 40 मिनट का समय, जो 90+ आयु वर्ग का दावा किया गया रिकॉर्ड था। 2011 में, 100 वर्ष की आयु में, उन्होंने एक ही दिन में 8 विश्व रिकॉर्ड बनाए। उन्होंने लंदन, न्यूयॉर्क, मुंबई जैसे शहरों में मैराथन दौड़ीं और 2013 में 102 वर्ष की आयु में संन्यास ले लिया।
एडिडास के पोस्टर में आए
उन्हें "टरबन्ड टॉर्नेडो" के नाम से जाना जाता है। 2004 में, एडिडास ने उन्हें अपने पोस्टर एथलीट के रूप में चुना, और 2008 में उन्होंने एथेंस ओलंपिक में टॉर्च ले जाने का सम्मान प्राप्त किया। उन्होंने सिख संस्कृति को बढ़ावा दिया और विभिन्न चैरिटी के लिए धन जुटाया। 2 अप्रैल 2025 को, उन्होंने अपना 114वां जन्मदिन मनाया था
एक दिन में आठ रिकार्ड
100 वर्ष की आयु में, उन्होंने एक ही दिन में 8 विश्व रिकॉर्ड बनाए, जिसमें 100मीटर (23.14 सेकंड), 200मीटर (52.23 सेकंड), 400मीटर (2:13.48), 800मीटर (5:32.18), 1500मीटर (11:27.81), 1 मील (11:53.45), 3000मीटर (24:52.47), और 5000मीटर (49:57.39) शामिल थे। उन्होंने लंदन, न्यूयॉर्क, टोरंटो, मुंबई, हांगकांग जैसे विभिन्न शहरों में मैराथन दौड़ीं। 2003 में लंदन मैराथन में उनका सर्वश्रेष्ठ समय 6 घंटे 2 मिनट था। 2013 में, 102 वर्ष की आयु में, उन्होंने हांगकांग में अपनी आखिरी प्रतिस्पर्धात्मक दौड़ पूरी की और संन्यास ले लिया।
हालांकि, इन रिकॉर्ड्स को आधिकारिक तौर पर मान्यता नहीं मिली, क्योंकि उनकी आयु का सत्यापन नहीं हो सका। फिर भी, उनकी उपलब्धियां असाधारण हैं और कई लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं।