यूं तो वर्तमान में देश-दुनिया में कोरोना वायरस के मामले सामने नहीं आ रहे हैं। लेकिन फिर भी वैज्ञानिक अभी भी इस खतरनाक वायरस को लेकर स्टडी कर रहे हैं। हाल ही में एक स्टडी में कोविड-19 वायरस को लेकर एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है। इस स्टडी के मुताबिक खून और टिश्यू में एक साल से ज्यादा समय तक ये वायरस जीवित रह सकता है और लॉन्ग कोविड का जोखिम बन सकता है।
साथ ही खून और टिश्यू में लंबे समय तक मौजूद वायरस दिल के दौरे और स्ट्रोक की वजह भी बन सकते हैं। आइए जानते हैं UCSF के शोधकर्ताओं का क्या हैं कहना और कोविड वायरस से हर्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा किस तरह से है।
जानिए UCSF के शोधकर्ताएं इस स्टडी को लेकर क्या कहते हैं
UCSF यानी कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय सैन फ्रांसिस्को के शोधकर्ताओं ने इस स्टडी ने पाया कि नॉर्मल इम्यून रेस्पॉन्स वाले लोगों में भी कोविड-19 एंटीजन के अंश मौजूद हो सकते हैं। वैसे तो शुरू से ही कोविड-19 को एक अस्थायी बीमारी माना जाता है।
वे बताते हैं कि जो लोग पहले से हेल्दी हैं वो भी कई महीनों या सालों से अपने हेल्थ प्रॉब्लमस से परेशान हैं। ऐसे में अगर आपको पाचन समेत कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है तो इन लक्षणों को नजरअंदाज करें। इस घटना की जांच करने के लिए,
इस स्टडी में 171 लोगों के ब्लड सैंपल्स की जांच हुई
इस स्टडी में रिसर्चस ने कोविड-19 से संक्रमित 171 व्यक्तियों के ब्लड सैंपल्स की जांच की। इस टेस्ट के दौरान विशेषरूप से कोविड 'स्पाइक' प्रोटीन की उपस्थिति की जांच की गई। ये वायरस लोगों के टिश्यू में एंट्री करना अहम है।
स्टडी के दौरान मिले रिजल्ट के मुताबिक संक्रमण के 14 महीने बाद भी कुछ लोगों में ये वायरस के अंश मौजूद थे। इस स्टडी में पाया गया कि कोविड-19 की वजह से अस्पताल में भर्ती होने वालों में कोविड एंटीजन का पता लगाने की संभावना उन लोगों की मुकाबले काफी अधिक थी जिनमें हल्के लक्षण थे।
जिन्हें अस्पताल में भर्ती होने की कोई जरूरत नहीं थी। इसके अलावा जिन लोगों ने अस्पताल में भर्ती हुए बिना भी अधिक गंभीर लक्षणों की सूचना दी उनमें भी वायरस के टुकड़ों का पता लगाने की संभावना अधिक थी।
क्या सच में कोविड वायरस से हर्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा है
इस स्टडी में शोधकर्ताओं ने संक्रमण के बाद दो साल तक वायरल आरएनए के अंशों का पता लगाया है। वैसे इस मामले में पूरी तरह से ये नहीं कह सकते हैं कि व्यक्ति दोबारा संक्रमित होगा। दरअसल रिसर्चर्स ने वायरल आरएनए के अंशों को कनेक्टिव इश्यू में पाया जहां ये इम्यून टिश्यू होती हैं। परिणामस्वरूप ये वायरल टुकड़े इम्यून सिस्टम पर हमला कर रहे थे।
वहीं कुछ सैंपल्स में पाया गया कि ये वायरस आगे चल कर एक्टिव हो सकता है। वहीं स्टडी के प्रमुख शोधकर्ता पेलुसो के मुताबिक इन वायरल टुकड़ों का लंबे समय तक बना रहना लॉन्ग कोविड और दिल के दौरे और स्ट्रोक से संबंधित जोखिमों का कारण बन सकता है।