SP chief Akhilesh Yadav did his first road show after nomination from Kannauj seat: कन्नौज लोकसभा सीट से नामांकन के बाद शनिवार को सपा मुखिया अखिलेश यादव ने यहां पहला रोड शो किया। रोड शो रसूलाबाद विधानसभा से शुरू हुआ। जिले की तिर्वा विधानसभा में देर रात इसका समापन हुआ। तिर्वा में इंदरगढ़ तिराहे पर लगी रानी अवंतिका बाई की प्रतिमा पर सपा मुखिया ने माल्यार्पण किया। इस दौरान सपा मुखिया ने कहा कि मैं खुद आप सबसे वोट मांगने आया हूं। भाजपा पर तंज कसते हुए कहा कि हमने अपनी सरकार में लैपटॉप बांटे। भाजपा ने लैपटॉप को छोटा कर मोबाइल बांट दिया। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार का विकास बिल्कुल पार्ले जी के बिस्कुट की तरह है। पहले बिस्कुट का पैकेट बड़ा आता था, अब छोटा आने लगा है। बल इंजन की सरकार वाली होर्डिंग देखी आपने। इसमें एक इंजन गायब हो गया है। दूसरा इंजन भी जब वोट पड़ेगा तो गायब हो जाएगा।
अपने लिए वोट मांगने आए
सपा मुखिया ने कहा कि डबहुत दिनों बाद हम अपने लिए वोट मांगने आए हैं। ये क्षेत्र बहुत पुराना रहा है। हमको जब नेता जी पहले लाए थे हम तब से वोट मांग रहे हैं। नेता जी के कहने से हमको जनता ने पहला चुनाव जिताया। ये चौड़ी सड़कें, पुलिस को 100 नम्बर की गाड़ी, एंबुलेंस और गांव-गांव जो लैपटॉप चल रहे हैं, ये हमने दिए हैं। सपा मुखिया ने कहा कि भाजपा वाले तो बड़े को छोटा करना जानते हैं। बीजेपी वालों को कुछ समझ नहीं आ रहा ये कह रहे कि संविधान बदल देंगे, लेकिन ये जो संविधान बदलने निकले हैं जनता उनकी सरकार बदल देगी।
पारिवारिक प्रतिष्ठा दांव पर
अखिलेश के परिवार के बाहर और किसी की तो अभी तक गुंजाइश नहीं बन पाई है। परिवार से ही चार से पांच कैंडिडेट चुनाव मैदान में आ गए है। बात तो ऐसी भी बन रही थी कि कन्नौज की सीट से तेजप्रताप चुनावी मैदान में आएंगे, लेकिन सपा को ये लगा कि तेजप्रताप के भरोसे ये सीट निकालना आसान नहीं है, इसलिए खुद अखिलेश यादव चुनाव मैदान में आ गए। कन्नौज की सीट वैसे भी प्रतिष्ठा की सीट बन गई है। अखिलेश ने कन्नौज की सीट से नामांकन कर दिया। देखा जाए तो अखिलेश यादव के चुनाव लड़ने से थोड़ी गंभीरता आएगी। कांग्रेस की पूरे देश में हालत डांवाडोल है। किसी तरह यूपी में 17 सीटों पर बात सपा के साथ बनी। अभी तक कांग्रेस ये तय नहीं कर पाई कि रायबरेली और अमेठी से कौन चुनाव लड़ेगा? अभी तक कांग्रेस की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आयी।
कांग्रेस पार्टी पर भी दबाव
हालांकि, अखिलेश यादव के चुनावी मैदान में आने से अपनी परंपरागत सीट को बचाने के लिए एक दबाव तो बन ही गया है। अखिलेश के चुनाव लड़नें से सपा के समर्थकों और जनता में चुनाव को लेकर एक मजबूत मैसेज भी जाएगा। इस बार चुनावी मैदान में आने से 'हमारा नेता कैसा हो, अखिलेश यादव जैसा हो' ये नारा अब गूंजने लगा है। सपा की ओर से एक मजबूत चेहरा अगर रहेगा तो एक दावेदारी तो जरूर पेश हो सकती है। यूपी में दो ही बड़ी पार्टियां है एक भाजपा और दूसरा सपा। हालांकि, चुनाव में खोने के लिए सपा के पास कुछ खास नहीं है। अगर वो चुनाव हार भी जाते हैं तो विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष है। यूपी में सबसे मजबूत विपक्ष के नेता है। जीत जाएंगे तो सीट खाली हो जाएगी। शिवपाल यादव को जहां से चुनाव लड़ना था वहां से उन्होंने अपने बेटे को उतार दिया है।
कन्नौज है सपा के लिए खास
कन्नौज की सीट से अखिलेश यादव के चुनावी मैदान में आने से ना बल्कि कन्नौज बल्कि उसके आसपास के सीटों पर सीधे तौर पर प्रभाव पड़ेगा। पार्टी का सुप्रीमो जब चुनाव लड़ता है तो सब कुछ दांव पर लग जाता है। ऐसे में कन्नौज के अलावा आसपास के अकबरपुर, इटावा आदि सीटों पर भी सीधे तौर पर असर देखने को मिलेगा। कार्यकर्ता और समर्थकों पर एक मनोवैज्ञानिक असर पड़ता है। उनके मन में अपने नेता ही नहीं बल्कि नेता के पार्टी से खड़े हुए दूसरे प्रत्याशियों पर भी कृपा उमड़ती है। सपा भी यूपी में 80 और देश में 400 के पार के नारे को रोकने के लिए काम करेगी। सपा की चाह है कि वो यूपी में ही सीटों पर भाजपा को रोक दे। ऐसे में कार्यकर्ता और समर्थकों में एक उत्साह भी देखने को मिलता है।
पीडीए के सहारे अखिलेश
यूपी में अखिलेश यादव ने वोट समीकरण के लिए पीडीए का नारा दिया. जिसमें पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक शामिल हैं। टिकट के बंटवारे में भी सपा ने यादव और मुसलमान के अलावा अन्य जातियों के लोगों को भी टिकट दिया है। यूपी में अखिलेश ने पीडीए का नारा दिया। बिहार में लालू यादव की पार्टी राजद ने एमवाई के समीकरण पर काम करने का नारा दिया था। हालांकि, सभी जनाधारों को इकट्ठा करने में कोई कसर पार्टियां नहीं छोड़ रही है। जाट समुदाय का हटना एक तरह से सपा और अखिलेश यादव के लिए एक झटका जैसा ही है। पीडीए के अलावा सपा और अखिलेश यादव ने अन्य जातियों को भी जोड़ने का काम करते हुए टिकट दिया है और चुनाव में एक अवसर प्रदान किया है। इस बार यादवों को भी अच्छी संख्या में टिकट दिया गया है। उसमें से काफी संख्या में सपा के अपने ही लोग है।