Let us know the Panchsheel principles of Swami Mahavir : स्वामी महावीर जैन धर्म के अंतिम व 24वें तीर्थंकर हैं। देशभर में धूमधाम से महावीर जयंती मनाया जा रहा है। आज के दिन जैन धर्म के लोग उनकी पूजा करते हैं और जुलूस भी निकालते हैं। चैत्र माह में शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन ही स्वामी महावीर का जन्म हुआ था और इनके जन्मोत्सव को ही महावीर जयंती के रूप में मनाया जाता है। बता दें कि दिगंबर मुनि वस्त्र धारण नहीं करते हैं। उनकी मान्यता के अनुसार विकारों को ढकने के वस्त्र धारण किया जाता है लेकिन जो विकाररहित है उसे वस्त्र की जरूरत नहीं है।
599 वर्ष ईसा पूर्व राजा के घर में हुआ जन्म
स्वामी महावीर का जन्म 599 वर्ष ईसा पूर्व बिहार में हुआ था। उनके माता का नाम रानी त्रिशला और पिता का नाम राजा सिद्धार्थ था। उनके बचपन का नाम वर्धमान था। 30 वर्ष की उम्र में उन्होंने आध्यात्मिक मार्ग अपना लिया था और अपनी तपस्या से न सिर्फ आत्मज्ञान प्राप्त किया बल्कि अपनी इंद्रियों और भावनाओं पर भी पूरी तरह से काबू कर लिया था। तपस्या के दौरान वो दिगंबर रहने लगे। यानी बिना वस्त्र के. आत्मज्ञान प्राप्त करने के बाद भगवान महावीर ने लोगों को उपदेश दिए। जिसका लोग आज भी पालन करते हैं। उन्होंने आंतरिक शक्ति पाने और समृद्ध जीवन के लिए 5 सूत्र बताए थे जोकि न सिर्फ जैन धर्म बल्कि मानव हित के लिए अमूल्य माना गया।
अहिंसा,सत्य, अस्तेय, अपरिग्रह और ब्रह्मचर्य
भगवान महावीर ने लोगों को हिंसा से दूर रहने को कहा। उनका कहना था चाहे परिस्थिति कैसी भी हो लोगों को हिंसा से दूर रहना चाहिए। किसी भी हाल में किसी को कष्ट न पहुंचाएं। भगवान महावीर ने लोगों को सत्य की राह पर चलने को और हमेशा सत्य बोलने को कहा। उनका कहना था कि जो लोग अस्तेय का पालन करते हैं वो संयम से रहते हैं। मन पर उनका वश होता है। ब्रह्मचर्य भी भगवान महावीर ने जोर दिया। उन्होंने कहा कि जैन व्यक्तियों को ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए और किसी भी प्रकार के कामुक गतिविधियों में शामिल नहीं होना चाहिए। उनका कहना था कि जिन्हें आत्मज्ञान की प्राप्ति हो जाती है वो सांसारिक जीवन से ऊपर उठ जाते हैं।